शिशु रोगों को चिकित्सा treatment of infant diseases


आज हम इसे रोग के बारे में बात करेंगे ,जो छोटे बच्चो को बहुत अधिक होता है , और ये एक आम बात है तो आइए जानते है , छोटे बच्चे (शिशु) के रोगों और उनके घरेलू उपाय के बारे में जानते है --  
 
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             शिशु रोगों को चिकित्सक

     पेट दर्द

यदि पेट दर्द के कारण शिशु रो रहा हो तो पेट का सेंक कर दें और पानी में जरा-सी हींग पीसकर पतला-पतला लेप बच्चे की नाभि के चारों तरफ गोलाई में लगा दें, आराम हो जाएगा।

      चुरने कीड़े

छोटे बच्चों की गुदा में चुरने कीड़े हो जाते हैं, जो गुदा में काटते हैं, जिससे बच्चा रोता है व सोता नहीं है। घासलेट के तेल में जरा-सी रुई डुबोकर, इस फाहे को बच्चे की गुदा के मुँह में फँसा देने से चुरने कीड़े मर जाते हैं और बच्चे को आराम मिल जाता है।
 
कान दर्द

छोटा शिशु कान की तरफ हाथ ले जाकर रोता हो, तो माँ अपने दूध की 2-2 बूंदे कानों में टपका दे। यदि कान दुखने से बच्चा रोता होगा, तो चुप हो जाएगा, क्योंकि कान का दर्द मिट चुका होगा।

  बिस्तर में पेशाब

यह आदत कई बच्चों में होती है और सज्ञान होने की आयु तक बनी रहती है। ऐसे बच्चों को एक कप ठण्डे फीके दूध में 1 चम्मच शहद घोल कर सुबह-शाम 40 दिन तक पिलाना चाहिए और तिल-गुड़ का एक लड्डू रोज खाने को देना चाहिए। बच्चों को समझा दें कि चबाचबा कर खाएं, ऊपर से शहद वाला एक कप दूध पी लें। सिर्फ एक लड्ड प्रातःकाल खाना पर्याप्त है। लाभ न होने तक सेवन करें और चाहें तो बाद में भी सेवन कर सकते हैं। बच्चे को पेशाब करके सोना चाहिए और चाय पीना बंद रखना चाहिए या सिर्फ एक बार सुबह ही पीना चाहिए। शाम होने के बाद गरम पेय या शीतल पेय पीने से भी प्रायः बच्चे सोते हुए पेशाब कर देते हैं।

दस्त लगना

यदि शिशु दुबला-पतला और कमजोर हो तो एक पतला दस्त होते ही उचित उपाय शुरू कर देना चाहिए। दस्त लगने पर अपना स्तनपान कराना बंद न करें। दस्त लगने पर धीरे-धीरे या कभी-कभी शीघ्रता से भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यदि बच्चा दुबला-पतला और कमजोर हुआ, तो उसके प्राण भी संकट में पड़ सकते हैं। इसका एक उत्तम उपाय है नमकीन शरबत बनाकर पिलाना, जिसे जीवन रक्षक घोल कहते हैं। एक गिलास शुद्ध ताजे पानी में चुटकी भर नमक और एक चम्मच शक्कर घोल लें। बस जीवन रक्षक घोल तैयार है। इस घोल को 2-2 चम्मच थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाते रहना चाहिए। इससे पानी की कमी की स्थिति धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। यदि यह स्थिति जल्दी ठीक ना हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

 पेट के कीड़े

 अरण्ड ककड़ी का एक चम्मच दूध प्रातः पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। बच्चों के लिए यह उत्तम प्रयोग है।

   वक्त पर दाँव न निकलना 

यदि नौ माह के बाद भी शिशु को दाँत न निकलें तो शिशु के मसूड़ों पर हफ्ते में तीन बार कच्चे आँवले का रस लगायें।

     बच्चों का तुतलाना व हकलाना

(1) यदि बच्चों को एक ताजा हरा आंवला नित्य कुछ दिन चबाकर खाने से. बच्चे का तुतलाना व हकलाना मिटता है।

 (2) बादाम की सात गिरी, सात काली मिर्च दोनों को कुछ बूंद पानी के साथ घिसकर चटनी बना लें और इसमें जरा-सी पिसी हुई मिश्री मिलाकर खाली पेट प्रातः चाटें।

(3) हकलाकर बोलना न छूटने पर 5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर, 300 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी उबल कर 100 ग्राम रह जाए तो उसमें 50 ग्राम मिश्री तथा 250 ग्राम गाय का दूध मिलाकर रोजाना सोने से पूर्व पिलाते रहने से हकलाकर बोलना ठीक हो जाता है।
                           


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