गला बैठना (Hoarseness)
★परिचय★
इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
★गला बैठने के कारण★
1. अधिक गाना गाने, चीखने-चिल्लाने तथा जोर-जोर से भाषण देने से रोगी का गला बैठ जाता है।
2. ठंड लगने तथा सीलनयुक्त स्थान पर रहने के कारण गला बैठ सकता है।
3. ठंडी चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग सकता है।
4. शरीर के अन्दर किसी तरह का दूषित द्रव्य जमा हो जाने पर जब यह दूषित द्रव्य किसी तरह से हलक तक पहुंच जाता है तो गला बैठ जाता है।
5 - गले बैठने की समस्या सर्दी, जुकाम या श्वसन तंत्र में संक्रमण होने के कारण हो सकती है।
6 - कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण ये समस्या होती है, जैसे लकवा मार जाने से आवाज में कमजोरी आ जाती है।
7 - जब स्वर तंत्रियों में सिस्ट या सूजन आ जाती है या स्वर तंत्रिओं का मांस बढ़ने लगता है तब भी गला बैठने की समस्या देखी जाती है।
8 - जब पेट का एसिड गले तक पहुंचता है तो गले की तंत्रिओं में सूजन आ जाती है और जिसके कारण गला बैठ सकता है। साधारण भाषा में कहें तो एसिडिटी के दौरान गले बैठने की समस्या हो सकती है।
9 - स्वर तंत्रिओं में कैंसर होने के कारण गला बैठ जाता है।
10 - जब हम अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तब यह समस्या हो जाती है।
11 - अधिक मात्रा में बर्फ के सेवन करने से या ठंडे पेय पदार्थ से गला बैठने की संभावना बढ़ जाती है।
12 - मिर्च या मसालेदार भोजन खाने से भी स्वर तंत्रिओं में सूजन आती है और गला बैठ सकता है।
★गला बैठने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार ★
1. गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।
2. गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।
3. रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।
4. रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।
5. गला बैठना रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक चोकरयुक्त रोटी तथा उबली-सब्जी खानी चाहिए।
6. इस रोग से पीड़ित रोगी को फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
7. रोगी व्यक्ति को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए तथा इसके अलावा गहरी नीली बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
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