आज हम जानते अनेक घरेलू उपाय और नुस्खे ।
आज हम अनेक रोगों के लिए उपयोगी घरेलू उपाय अपनाएं तो आइए जानते ही निम्न रोगों और उनके घरेलू उपाय के बारे में-
सफेद दाग
दाद, खाज-खुजली
चेचक के दाग
एक्ज़िमा
मूत्र विकार
पेशाब की जलन
बार-बार पेशाब आना
पेशाब रुकना
पेशाब संबंधी अन्य रोग
मधुमेह
विशेष शारीरिक रोग
पीलिया
लकवा
लू लगना
हैजा
कैंसर
अनिंद्रा
ज्वर (बुखार)
साधारण बुखार
मलेरिया
टाईफाइड
त्वचा रोग
सफेद दाग
( 1 ) चार ग्राम हल्दी एक पाव दूध के साथ पांच-छः माह तक लगातार खाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
(2) तुलसी की पच्चीस से पैंतीस ताजा पत्तियाँ लेकर उन्हें खूब बारीक-चटनी कुछ की तरह पीस लें और साठ ग्राम मीठे दही के साथ या फिर डेढ़-दो चम्मच शहद के साथ सुबह नाश्ते के आधे घण्टे पहले लगातार तीन बार लें। माह तक इस नुस्खे के प्रयोग से सफेद दागों के कई मरीजों को फायदा हुआ है। (3) आठ-आठ बूँद की मात्रा में नीम का तेल खाली कैप्सूलों में भरकर सुबह शाम सेवन करें साथ ही सफेद दागों पर नीम का तेल लगाएं छः माह तक लगातार यह प्रयोग करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
(4) केले के सूखे पत्तों को आग में जला लें, फिर इस राख में मक्खन या घी मिलाकर सफेद दाग पर लगायें, दो से तीन सप्ताह के भीतर फर्क दिखाई देने लगेगा। यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार करें।
दाद-खाज-खुजली
(1) गाय के गोबर को कपड़े में रखकर निचोड़ लें। इससे जो पानी निकले उसमें सम भाग मिट्टी का तेल भी मिला लें। इस मिश्रण को दिन में तीन-चार बार रूई के फाहे से दाद पर लगाएं, लगाने से पहले दाद को खुजाल लें। (2) जिन लोगों को दाद, खाज, खुजली इत्यादि चर्म रोगों की शिकायत रहती है उन्हें एक चम्मच शहद एक गिलास पानी में मिलाकर प्रातः खाली पेट नियमित रूप से पीना चाहिए।
(3) नीम की साफ की हुई पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी से स्नान करने से खुजली में आराम होता है। (4) खाज-खुजली पर अनार के छिलकों को लहसुन के साथ पीसकर लगाने से लाभ होता है।
वेचक के दाग
(1) काले तिल व पीली सरसों बराबर मात्रा में लेकर कच्चे दूध में पीसकर चेचक के दागों पर लगायें कुछ दिनों तक यह प्रयोग करने से लाभ होता है। (2) अरहर की दाल, खीरे का रस, दूध, गुलाब जल सब 1-1 चम्मच, 1 चुटकी हल्दी, 40-45 बूंद नींबू का रस और पांच बूंद ग्लिसरिन, अरहर की दाल पानी में गलाकर पीस लें और शेष सब चीजें इसमें मिलाकर गाढ़ा-गाढ़ा चेहरे पर लगाए, जब सूखने लगे तब हल्के गर्म पानी से धोकर पाँछ लें। धीरे धीरे चेचक के दाग मिटते जायेंगे।
एक्जिमा
अढ़ाई सौ ग्राम सरसों के तेल को किसी कड़ाही में डालकर आग पर रखें तेल खौलने लगे तो उसमें पचास ग्राम नीम की ताजा कोपलें डाल दें। तेल में सिककर जब सभी कोपलें काली पड़ जाएं, तो कड़ाही को नीचे उतार लें और तेल को ठण्डा होने दें। ठंडा हो जाने पर तेल को कांच की शीशी में भरकर रखें। इस तेल को दिन में तीन बार एक्जिमा पर लगाएं। कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाएगा।
मूत्र विकार
पेशाब की जलन
(1) ठण्डे पानी में तौलिया या कोई मोटा कपड़ा भिगोकर निचोड़ लें। इस कपड़े को नाभि के नीचे वाले तरेट भाग पर रखकर लेटे रहें। इस प्रयोग से जलन में बहुत जल्दी आराम होता है।
(2) प्रातःकाल आधा दूध आधा पानी एक गिलास में डालकर दो चम्मच शक्कर घोलकर फेंट लें और पी जाएं। चाय पीना बंद कर दें। दोपहर में एक गिलास ठण्डे पानी में नींबू निचोड़कर दो चम्मच शक्कर घोल लें और पी जाएँ। इस प्रयोग से जलन बंद हो जाती है।
(3) रात को एक गिलास पानी में गुलाब के 1-2 फूल की पंखुड़ियाँ डालकर ढंक कर रख दें, सुबह इसे मसलकर छान लें और इस पानी में एक चम्मच पिसी मिश्री घोल कर पी लें। जलन बंद हो जाएगी, एक सप्ताह तक सेवन करें। (4) एक मध्यम आकार के प्याज को कुचलकर करीब 25 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर ठण्डा करके पिलायें। पेशाब की जलन ठीक होगी। यह प्रयोग दो दिन तक करें।
बार-बार पेशाब आना (बहुमूत्र)
(1) बेल के ताजा पत्तों का रस पाँच ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लें।
(2) अनार के छिलकों को पीसकर उनका चूर्ण बना लें। दिन में दो बार पाँच पाँच ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का सेवन करें।
पेशाब रुकना
(1) रीठा एवं खारक के बीज समान मात्राओं में लेकर पानी में पीस लें और फिर लिंग व पेडू के आसपास लेप करके हल्की सिकाई करें। थोड़ी ही देर में रूका हुआ पेशाब आने लगेगा।
पेशाब संबंधी अन्य रोग
(1) मेथी के छह ग्राम बीजों को लेकर पानी में सुखा लें। सूख जाने के बाद उन्हें पीस लें तथा एक ग्राम शहद में मिलाकर रात को चाटें। दो-चार दिन के प्रयोग से ही बूंद-बूंद पेशाब आने की शिकायत दूर हो जाती है।
(2) बरगद के नए पत्ते बीस ग्राम लेकर, अढाई सौ ग्राम पानी में ठंडाई की तरह घोंटकर छान लें। सुबह-शाम इस पानी को पीने से पेशाब का रूक रूककर आना तथा पेशाब में किसी भी कारण से खून का आना बंद हो जाता है। पेशाब की सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
(3) अरंड के चार ग्राम पत्ते महीन पीसकर प्रातः सायं पानी के साथ कुछ दिनों तक निरंतर लेने से बहुमूत्र तथा रात्रि के समय अपने आप पेशाब निकल जाता हो तो यह दोष दूर हो जाते हैं।
मधुमेह
(1) सूखे आंवले तथा जामुन की गुठली की मींग, दोनों को सम भाग लेकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह निराहार मुँह, सात ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को, गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह का रोग चला जाता है।
(2) जामुन की गुठली की मींगी दस ग्राम और अफीम एक ग्राम दोनों को महीन पीसकर पानी के सहयोग से सरसों के दाने के बराबर गोलियाँ बना लें। एक एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से एक महीने में ही रोग दूर हो जाता है।
(3) किसी मिट्टी के बरतन में एक गिलास जल (कुंए का) भरकर इसमें 5 नग पलाश के फूल डाल दें जो कि आसानी से सब जगह उपलब्ध होते हैं। सुबह फूलों को मसलकर बासे मुंह इस पानी को पिएं। प्रति सप्ताह एक फूल बढ़ाते रहें, चार सप्ताह में रोग में आराम होगा। अनुराधा नक्षत्र के समय यह फूल तोड़कर प्रयोग करने से और भी शीघ्र लाभ होता है।
विशेष शारीरिक रोग
पीलिया
(1) मूली के पत्तों का रस 100 ग्राम लें और 20 ग्राम शक्कर में मिलाकर सुबह के वक्त 15-20 दिन पीयें। पीलिया में फायदा होगा, दवा सेवन के दौरान खटाई से परहेज रखें।
(2) चने के बराबर फिटकरी (एलम) आग पर सेंक कर फुला लें और बारीक पीस लें, एक पका हुआ केला बीच में आधा काट कर दो चीर कर लें और इस पर फिटकरी बुरककर दो भाग मिला लें। इसे प्रातः खाली पेट खा लें सात दिन तक इस प्रकार एक केला रोज खाने से पीलिया ठीक हो जाता
लकवा (पैरालाइसिस)
(1) हींग, सौंठ, कालीमिर्च, पिप्पली, लाहौरी नमक समान मात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़े से छान लें, इस चूर्ण को तीन ग्राम मात्रा में लेकर लहसुन की तीन कलियाँ पीसकर मिला दें तथा सुबह दूध के साथ नियमित रूप से प्रयोग करें। यह औषधि कमर दर्द, हाथ पैर के लकवे व मुंह के लकवे में लाभदायक के लकवे में तीन ग्राम चूर्ण में लहसुन की तीन कलियों की लुगदी तथा तीन ग्राम मक्खन मिलाकर खाने से विशेष लाभ होता है।
(2) उड़द की दाल पीसकर उसे घी में सेंकें। इसमें गुड़ और सोठ पीसकर, मिलाकर लङ्क बनाएं। एक लङ्क नित्य खाते रहने से लकवा ठीक हो जाता है।
(3) खौलते हुए आधा कप पानी में शहद की दो चम्मच डालकर, ठण्डा होने पर पीने से एक महीने में ही लकवाग्रस्त अंग कार्य करने लगते हैं। सेब, अंगूर और नाशपाती के रसों को समान मात्रा में मिलाकर पीते से भी लकवा ठीक हो जाता है।
लू लगना
( 1 ) काली तुलसी के फूलों को ठण्डे पानी के साथ सेवन करने से लू लगने
का डर नहीं रहता तथा लू ग्रस्त रोगी को काफी राहत मिलती है।
(2) लू लगने पर मैथी के हरे पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से लाभ होता है।
(3) कच्ची केरी को गर्म राख में दबाकर भूनकर, इसका रस निकाल कर मिश्री डालकर पीने से लू का असर मिटता है
हैजा
(1) अगर आपके नगर या गाँव में हैजा फैल रहा हो, तो कड़वे नीम के पत्ते एक तोला, कपूर एक रत्ती और हींग एक रत्ती- इन तीनों चीजों को पीसकर एक गोली बना ले। इसमें 6 माशे गुड़ मिलाकर, रात को सोने के पहले लें। जब तक हैजे का भय रहे, रोज इसी तरह गोली बनाकर रात को लेते रहें।
(2) कभी-कभी जंगल की आग की भाँति हैजे का रोग फैलता है। इससे बचने के लिए पच्चीस ग्राम प्याज का रस, एक कप पानी, एक नींबू, थोड़ा-सा नमक, काली मिर्च पिसी और अदरक का रस मिलाकर पिलाने अथवा पीते रहने से हैजा नहीं होता है।
(3) पच्चीस ग्राम आम के नर्म-नर्म पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में उबाले। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर दो बार पिलाएं।
(4) नींबू का रस एक भाग, हरा पोदीना और प्याज का रस आधा आधा भाग मिलाकर बार-बार पिलाने से लाभ होता है।
कैन्सर
लगभग 25 ग्राम गो-मूत्र (काली गाय का हो तो बेहतर) सूती कपड़े से
जानकर चार-पाँच तुलसी व नीम की पत्तियों के साथ लम्बे समय तक सेवन करें। कैन्सर में लाभकारी है।
अनिद्रा
(1) सिर और पैरों के तलवों की मालिश सरसों के तेल से करने से निद्रा अच्छी आती है।
(2) खसखस छह ग्राम, अढाई सौ ग्राम पानी में पीसकर कपड़े से छान लें और पच्चीस ग्राम मिश्री मिलाकर प्रातः और सायं (चार-पांच बजे) एक-एक बार लें। इसके नित्य लेने से अनिद्रा रोग सदा के लिये मिट जाएगा।
(3) प्रतिदिन रात में सोने से पूर्व पांवों के तलुवों पर सरसों के तेल की मालिश कराएं और दोनों आँखों में एक-एक बूंद गुलाब जल की डालें। इस क्रिया से
निद्रा आ जाएगी। धीरे-धीरे अनिद्रा का रोग भी समाप्त हो जायेगा तथा निद्रा लाने के लिए किसी औषधि के सेवन की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
ज्वर (बुखार)
साधारण बुखार
(1) साधारण बुखार में एक कटोरी में पानी लेकर उसे गुनगुना करके उसमें चुटकी भर नमक डालकर पियें, इस नुस्खे को दिन में 3-4 बार करने से लाभ होता है।
(2) तुलसी के ताजे पत्ते तोड़कर बराबर वजन में काली मिर्च लेकर दोनों को कूट-पीसकर चने के बराबर गोलियाँ बनाकर सुखा लें और शीशी में रख लें। बुखार होने पर बच्चों को 1-1 गोली और बड़ों को 2-2 गोली शहद में पीसकर सुबह-शाम चटा दें। बुखार ठीक हो जाएगा।
मलेरिया
(1) मलेरिया के मौसम में प्रतिदिन चार तुलसी की पत्तियाँ तथा चार काली मिर्च पीसकर, गोली बनाकर निगलने या वैसे ही चबा लेने से मलेरिया से बचा जा सकता है।
(2) जाड़ा लगकर लगातार बुखार चढ़ने से पहले (एक घंटा पहले) फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में 4 गुना पिसी खांड या चीनी अच्छी तरह मिलाएँ। दो ग्राम की मात्रा गुनगुने पानी से दो-दो घंटे के बाद तीन बार लें। तीन खुराक लेने से न जाड़ा चढ़ेगा और न बुखार रहेगा। मलेरिया की यह रामबाण औषधि है।
टाईफाइड
(1) दालचीनी का चूर्ण एक चुटकी, दो चम्मच शहद में मिलाकर दिन में द बार चाटने से मोतीझरा (टाईफाइड) जैसे संक्रामक रोग से बचा जा सकता है।
(2) पाँच लौंग को दो किलो पानी में उबालकर, आधा पानी में रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य चार-पांच बार पिलाएँ। यदि सादा पानी भी पिलाना हो तो उबालकर ही पिलाना चाहिए तथा रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलाएँ या दूध पिलाकर नारंगी खिलाएँ।