आज हम इस पोस्ट पर जानेंगे घरेलू उपाय जीभ व गले के रोग और पेट के रोगों को घर पर ही कैसे ठीक करे तो आइए जानते ही कोन कोन से रोगों को हम घर पर ही ठीक कर सकते है
Knowledge and motivation ब्लॉग पर आपको नॉलेज मोटिवेशन (प्रेरणा) हेल्थ टिप्स से रीलेटेट सब कुछ मिलेगा । तो आइए जानते हैं घरेलु उपाय -
निम्नलिखित हैं -
1. गला बैठना ।
2. गले की सूजन ।
3. हकलाना ।
4. जीभ के छाले ।
5. कब्ज ।
6. अतिसार (दस्त) ।
7. जी मिचलाना एवम उल्टी होना ।
8. पेट के दर्द ।
9. पेट के कीड़े ।
10. पेट की जलन ।
11. भूख न लगना ।
12. भस्मक ।
13. अम्लपित ( एसिडिटी )
14. अजीर्ण ।
15. पेचिस ।
16. पेट की गैस
17. नाभि का खिसकना ।
18. तिल्ली का बाद जाना ।
जीभ व गले के रोग
गला बैठना
SIE (1) यदि सर्दी-जुकाम के कारण गला बैठ गया हो तो रात को सोते समय पाँच छह काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जाएँ। यदि बताशे न हों तो मिश्री का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें चबाकर धीर-धीरे चूसते रहने से गला खुल जाता है।
(2) काली मिर्च दस ग्राम, मिश्री दस ग्राम और मुलहठी दस ग्राम इन्हें पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम एक-एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है तथा पहले से भी अधिक सुरीली हो जाती है। गले की सूजन
(1) यदि गले में कष्टदायक सूजन आ गई हो तथा कफ भी अधिक मात्रा में निकल रहा हो तो दो ग्राम अजवाइन सोने से पहले चबाकर, ऊपर से थोड़ा गरम पानी पी लें। इससे सूजन मिटकर आराम पड़ जाता है।
(2) लहसुन का रस गले के बाहर हींग मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
हकलाना (बोलने में)
कोथमीर (हरा धनिया) और अमलतास का गुदा दोनों चटनी की तरह पत्थर पर पीसकर पानी में घोल लें। मसलकर पानी गिलास में भर लें। इस पानी से कुल्ले करें एक माह इस प्रयोग को करने से जीभ नरम व हल्की होने से हकलाना दूर हो जाता है। हकलाने वाले व्यक्ति को किसी पुस्तक को जोर जोर से एकांत में पढ़ाना चाहिए। इससे भी हकलाहट में लाभ होता है।
जीभ के छाले
(1) पीपल को महीन पीसकर शहद में मिलाकर लेप करने, जीभ पर मलने तथा लार गिराने से जीभ के छाले आदि ठीक हो जाते हैं।
(2) पोदीने की पत्ती और मिश्री मिलाकर चबाने तथा थूकने से जीभ के छाले दूर हो जाते हैं।
पेट के रोग
कब्ज
(1) प्रातः उठते ही कुल्ला या दंत मंजन करके एक गिलास ठण्डा पानी पीकर इसके बाद एक गिलास कुनकुने गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर पी लें फिर शौच के लिए जाएं।
(2) सोते समय ठण्डे पानी या दूध के साथ इसबगोल 1-2 चम्मच मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें। इससे सुबह शौच खुलकर होता है।
(3) सुबह का भोजन करने के बाद, एक छोटी हरड़ के बारीक टुकड़े कर मुंह में रख लें और लगभग घण्टे भर तक चूसते रहें। घण्टे भर तक इसे चूसने के बाद चबाकर निगल जाएं। शरीर जब अत्यंत थका हुआ या अत्यंत दुर्बल, भूखा, प्यासा, अम्लपित्त बढ़ा हुआ या पित्त कुपित्त अवस्था में हो, तब हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
अतिसार (दस्त)
(1) अनार की पत्तियों का रस दो चम्मच की मात्रा में लेकर उसमें शक्कर डालकर पीने से दस्त रूक जाते हैं। (2) एक गिलास नारियल पानी में एक चम्मच पिसा हुआ जीरा मिलाकर सेवन करने से दस्त में आराम मिलता है।
(3) कच्चा पपीता काटकर पानी में उबालकर दो-तीन दिन तक खायें।
(4) जायफल को नींबू के रस में पीसकर चाटने से दस्त साफ होते हैं तथा पेट का अफारा मिट जाता है।
(5) एक चम्मच नींबू का रस लेकर चार छोटे चम्मच दूध में मिलाकर पी लें, आधे घण्टे में आराम होगा।
जी मिचलाना एवं उल्टी आना
(1) आधे नींबू के रस में आधा ग्राम जीरा और आधा ग्राम छोटी इलायची के दाने पीसकर 50 ग्राम पानी मिलाकर दो-दो घण्टे में पिलायें, उल्टी बंद करने के लिये बहुत बढ़िया नुस्खा है।
(2) 10 ग्राम अदरक के रस में 10 ग्राम प्याज का रस मिलाकर पिलायें
पेट का दर्द
(1) वात प्रकोप के कारण पेट फूलने और अधोवायु न निकलने पर पेट का तनाव बढ़ता है, जिससे पीड़ा होती है। अजवायन और काला नमक पीसकर दोनों समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे 1 चम्मच मात्रा में गर्म पानी के साथ फांकने से अधोवायु निकल जाती है, जिससे पेट का तनाव और दर्द मिट जाता है।
(2) अमृतधारा की 3-4 बूंद बताशे पर टपका कर खाने से पेट दर्द में आराम हो जाता है।
(3) अपच के कारण पेट दर्द हो रहा हो तो 10 ग्राम साबूत राई एक कप पानी के साथ बिना चबाए निगल जाएं आराम हो जाएगा।
पेट के कीड़े
(1) आधा चम्मच राई-चूर्ण एक कटोरी ताजा दही में मिलाकर एक सप्ताह तक सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
(2) दो टमाटर, कालीमिर्च, नमक के साथ निराहार खाने से पेट के कीड़े मर कर खत्म हो जाते हैं।
पेट की जलन
ज्यादा चाय पीने या मिर्च-मसालों का सेवन करने से यदि पेट में जलन, महसूस हो तो कच्चे सिंघाड़े का सेवन करें, अवश्य फायदा होगा।
भूख न लगना
(1) अदरक का रस आधा चम्मच और शहद आधा चम्मच दोनों वक्त खाने के बाद लें।
(2) जीरा एक चम्मच, हींग एक चुटकी, काला नमक चौथाई चम्मच और अजवाईन एक चुटकी लेकर सबको आधा गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो बार लें।
(3) मैथी का हरा साग पेट को ठण्डक पहुँचाने वाला एवं भूख बढ़ाने वाला होता है।
भस्मक
भोजन करने के थोड़ी ही देर बाद फिर से भूख लगने लगती है। इसे भस्मक रोग कहते हैं। इस रोग के रोगी को केले का गुदा 50 ग्राम और एक चम्मच शुद्ध घी दिन में दो बार सुबह-शाम खाना चाहिए।
अम्लपित्त (एसिडिटी)
(1) हरड़ एक श्रेष्ठ औषधि है। छोटी काली हरड़ का चूर्ण दो ग्राम लेकर उसमें दो ग्राम ही गुड़ मिलाएँ और संध्याकाल के भोजन के पश्चात खाकर ऊपर से पानी पी लें। इसके प्रयोग से एक सप्ताह के अंदर ही अम्लपित्त नष्ट हो जाएगी।
(2) दोनों समय के भोजन के पश्चात एक-एक लौंग चूसने से अम्लपित्त का दोष जाता रहता है। लौंग अमाशय की रस-क्रिया को बल प्रदान करती है। अम्लपित्त के रोगी को चाय नुकसान पहुँचाती है। अतः जब तक यह दोष दूर न हो जाए, चाय का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(3) अम्लपित्त में नींबू बड़ा प्रभावशाली सिद्ध होता है। नींबू का रस गरम पानी डालकर सायंकाल पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता । एक कप गरम पानी और एक चम्मच नींबू का रस एक-एक घंटे के अंतर से तीन बार लें, लाभ होगा।
अजीर्ण
(1) भूख न लगे, अजीर्ण हो, खट्टी डकार आती हो, तो एक नींबू आघा • गिलास पानी में निचोड़कर शक्कर (चीनी) मिलाएँ और नित्य पिएं। एक चम्मच अदरक का रस, नींबू, सैंधा नमक एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं। अनत्रास की फांक पर नमक और काली मिर्च (पिसी हुई) डाल कर खाने से अजीर्ण दूर हो जाता है। अजीर्ण में पपीता खाना भी हितकर है।
(2) प्याज का रस एक चम्मच दो-दो घंटे के अंतर से पीने से बदहजमी ठीक हो जाती है अथवा लाल प्याज काटकर और उस पर नींबू निचोड़कर भोजन के साथ खाने से अजीर्ण दूर होता है। बच्चों को अजीर्ण में प्याज के रस की पाँच बूंदें पिलाने से लाभ होता है।
पेचिश
(1) दही और चावल, मिश्री के साथ खाने से दस्तों में आराम मिलता है। सूखी मेथी का साग बनाकर प्रतिदिन खाएं अथवा मेथीदाना का चूर्ण तीन ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। आंव के रोग में लाभ होने के अतिरिक्त इससे मूत्र का अधिक आना भी बंद हो जाता है।
(2) सौ ग्राम सूखे धनिए में पच्चीस ग्राम काला नमक मिलाकर और पीसकर रख लें। भोजन के बाद आधा चम्मच की मात्रा में फांककर ऊपर से थोड़ा सा पानी पी लें। दो-तीन दिन में ही असर देखने को मिल जाएगा।
पेट की गैस
एक मीठा सेब लेकर उसमें 10 ग्राम लौंग चुभों दें। दस दिन बाद लौंग निकालकर तीन लौंग रोजाना खाएं। साथ में एक सेब खाएं, चावल की चीजों से परहेज करें।
नाभि का खिसकना
((1) जब नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है या हट जाती है, तो पेट में बहुत तेज दर्द होता है, बल्कि जब तक नाभि अपने स्थान पर न आ जाए, यह दर्द बराबर बना रहता है और इस कारण दस्त लग जाते हैं। आगे को झुकने और कोई वजन आदि उठाने में भी कठिनाई होती है। नाभि को अपने स्थान पर बिठाना चाहिए। जब नाभि अपने स्थान पर आकर सैट हो जाए, तो कुछ खाना भी अवश्य चाहिए। यदि नाभि बार-बार हट जाती है, तो उसे बार-बार बिठाने का प्रयास करते नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे वो झूठी पड़ जाती है। एक बार नाभि (नाप) बिठाने के पश्चात दोनों पांवों के अंगूठों में कोई मोटा काले रंग का धागा बांध लेना चाहिए, इससे नाभि का हटना बन्द हो जाता है।
(2) बीस ग्राम सौंफ को बीस ग्राम गुड़ में मिलाएं और प्रातःकाल खाली पेट सेवन करें। इससे अपने स्थान से हटी हुई नाभि यथा स्थान पर आ जाएगी।
(3) नाभि पर सरसों का तेल मलने से नाभि के टलने, हटने अथवा खिसकने में लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रुई और ऊपर से कपड़े की पट्टी बांध लें। कुछ दिनों की इस प्रक्रिया से वर्षों पुराना दोष भी जाता रहता है।
तिल्ली का बढ़ जाना
(1) पहाड़ी नींबू दो भागों में काटकर उसमें थोड़ा-सा काला नमक मिश्रित कर हीटर या अंगीठी की आंच पर हल्का गर्म करके चूसने से लाभ होता है।
(2) गुड़ और बड़ी हरड़ के छिलकों को कूट-पीसकर गोलियाँ बना लें। प्रातः सायं हल्के गरम पानी से एक महीने तक सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है।
(3) तिल्ली के विकार में नियमित रूप से पपीते का सेवन लाभदायक है।
(4) 25 ग्राम करेले के रस में थोड़ा-सा पानी मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है। हुए और खट्टे और भारी खाद्य पदार्थों से रोगी को बचना चाहिये। तले मसालेदार भोजन से भी रोगी को परहेज करना चाहिये।