आहार में जल को पेय आहार यानि जीवन रक्षक कहा गया है. इसे भोजन से भी ज्यादा महत्व दिया गया है ,इस कारण इस पर विषेश ध्यान दे तो अच्छा होगा ।
जल के बारे मे यूं तो सभी लोग जानते है पर.यहां कुछ अनुभविक जानकारियां देना चाहता हूँ।
एसीडिटी, अधिक गरमी का प्रभाव, विष विकार में ,अधिक श्रम ,तथा खाने के दो घंटे बाद, शीतल जल पियें
जुकाम,पेट से संबंधित परेशानियां,श्वास से संबंधित परेशानियाँ ,हिचकी अधिक हो तो, जल को उबालकर (गुनगुना) ठंडाकर पियें।इस जल को दिनभर थोडा थोडा कर पियें
अरूचि ,जुकाम,बुखार ,मधुमेह से पीडित व्यक्ति ,उबाला जल ठंडाकर, थोडी थोडी मात्रा मे पीते रहें
एक बार में एक गिलास जल पीना चाहिये वरना अपच की परेशानी हो सकती है
चीनी या नया गुड मिला जल पीने से यदि कफ,यदि पहले से है तो और बढता है
मिश्री मिला जल पीने से पित्त नाश ,शुक्र वृद्धीहोतीहै
नया गुड़ जल में मिलाकर पीने से पेशाब में रूकावट दूर होती है
पुराना गुड जल मे मिलाकर पीने से पित्तनाश होता है
भोजन के तुरंत पहले व तुरंत बाद जल न पीये इससे अपच होता है।कारण भोजन को पचाने वाले रस को जल ठंडा व पतला करता है ,जिससे कब्ज,अपच होता है ।भोजन के दो घंटे बाद जल पीना बल वर्धक होता है
धूप से,शौच से,आने के तुरंत बाद जल न पिये अधिक आवश्यक हो तो थोडा सा जल पिये
सुबह सबेरे शौच से पहले ठंडा जल पियें अधिक ठंडा जल देर से पचता है, उबाल कर ठंडा किया जल जल्दी पचता है किसी मरीज को देना हो तो उबालकर ठंड़ा किया जल ही दें
प्य़ास लगे तो उसी समय जल पियें , जल हमेशा घूंट घूंट कर पीना चाहिये ,खडे होकर जल पीने से घुटना पकड़ लेता है जल हमेशा बैठकर ही पीना चाहिये
खाली पेट प्यास लगे तो, गुड़ खाकर जल पियें
रात मे नींद खुलने पर तुरंत जल पीने से जुकाम हो जाता है।
जल पीकर तुरंत दौडना ,घुडसवारी आदि से बचें
जल शांत चित होकर पिये,अधिक शोक ,तनाव ,क्रोध की स्थिति मे न पियें
जल कभी लेटकर या अंधेरे मे न पियें
जल पीने के बाद पहली सांस नाक से न छोडकर मुंह से छोडें
सुबह बासी मुंह 2 ग्लास पानी पीना चाहिए जिससे आपका पेट हमेशा साफ रहेगा। पानी पीने के बाद शौच जाना चाहिए जिससे आपका पेट पूरी तरीके से साफ हो जाएगा।
नहाने से पहले 2 गिलास पानी पीना चाहिए ।
हर काम का एक नियम होता है अगर आप नियम के तहत करें तो हितकर होता है जल के साथ भी कुछ इसी तरह के नियम अपनायें जिससे आप तमाम व्याधियो से बचे रहेगे
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