हल्दी (haldi)
हल्दी (haldi) क्या है ?
हल्दी
(Haldi) को
अंग्रेज़ी में टरमरिक (turmeric) कहते
हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कुरकुमा लौन्गा (curcuma longa) है। हल्दी एक जड़ी
बूटी है जो हल्दी के पेड़ की सूखी जड़ों और शाखाओं से बनाई जाती है।
हल्दी
के पेड़ की जड़ देखने में अदरक जैसी लगती है, इस जड़ को सुखाकर और
पीसकर हल्दी बनती है। यह कई बीमारियों से निजात दिलाती है। कुछ भारतीय व्यंजनों
में भी हल्दी का उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक
और यूनानी चिकित्सकों द्वारा हल्दी प्राचीन समय से कई तकलीफों के उपचार के लिए
इस्तेमाल में लाई जाती रही है। हल्दी खुशबूदार, उत्तेजक और एक
शक्तिवर्धक औषधि है।
यह
शरीर की हड्डियों को मज़बूती पहुंचाती है इसलिए इसका सेवन करके या बाहरी तौर से
शरीर पर लगाकर प्रयोग किया जाता है। खाने की सामग्री में यह ना केवल रंग लाती है
बल्कि कई पोषक तत्व भी शरीर को पहुंचाती है।
हल्दी
(Haldi) में
पाया जाने वाला करक्यूमिन (curcumin) नामक रासायनिक तत्व ही हल्दी के पीले रंग
और इसके उपचारात्मक प्रभाव का कारण होता है। हल्दी चिकित्सा व धार्मिक कार्यों में
विशेष उपयोगी है। इसके अलावा हल्दी को हिन्दू संस्कारों में भी महत्त्वपूर्ण माना
जाता है।
हल्दी (Haldi) का इस्तेमाल त्वचा की देखरेख के लिए भी किया जाता है और पाचन प्रक्रिया को दुरूस्त करने के लिए भी। हल्दी में कई औषधीय गुण हैं जो कैंसर, मधुमेह और सूजन जैसी बीमारियों का इलाज करते हैं।
हल्दी के क्या क्या फायदे हैं?
हल्दी रक्त शोधन करने वाली होती है। रोजाना हल्दी खाने से रक्त में पाए जाने वाले विषैले तत्व शरीर से बाहर निकलते है। जिससे रक्त का बहाव भी अच्छे से होता है। रक्त पतला होने पर धमनियों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है।
हल्दी रोज खाने से क्या होता है?
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पाचन - रोजाना हल्दी का सेवन करना पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने का बढ़िया
तरीका है। इससे कब्जियत और अन्य समस्या ठीक होंगी और शरीर के आंतरिक अंग भी स्वस्थ
रहेंगे। 5
दिमाग - हल्दी का नियमित प्रयोग आपके दिमाग को सुरक्षित रखने और पुष्ट करने के
लिए फायदेमंद है।
हल्दी का सेवन कैसे करना चाहिए?
इम्यूनिटी
को बढ़ाने के लिए रोज सुबह खाली पेट हल्दी वाला पानी पीना बहुत ही फायदेमंद होता
है। क्योंकि हल्दी में लिपोपॉलिसैकेराइड मौजूद होता है, जो इम्यूनिटी को
बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण भी पाए
जाते हैं, जो
इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
सबसे अच्छी हल्दी कौन सी है?
कच्ची
हल्दी का स्वाद नेचुरल और असली होता है। साथ ही इसमें बायोएक्टिव तत्व करक्यूमिन (curcumin) भी ज्यादा मात्रा में
होता है। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और
एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं।
1 दिन में कितना हल्दी खाना चाहिए?
एक
दिन में कितनी हल्दी की मात्रा सेहत के लिए फायदेमंद है
एक
छोटा चम्मच पिसी हुई हल्दी में लगभग 170-190 मि ग्राम करक्यूमिन
होती है। कम से कम 400 mg या
अधिक से अधिक 800 mg करक्यूमिन
का सेवन एक दिन में सुरक्षित है। इसलिए 1 से 3 छोटे चम्मच हल्दी का
सेवन एक दिन में किया जा सकता है।
क्या रोज हल्दी लेना अच्छा है?
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने पाया कि शरीर के वजन के प्रति पाउंड 1.4 मिलीग्राम हल्दी दैनिक
सेवन के लिए ठीक है । लंबे समय तक हल्दी की उच्च खुराक लेने की सलाह नहीं दी जाती
है। सुरक्षा की गारंटी के लिए पर्याप्त शोध नहीं है। अगर आप दर्द और सूजन से राहत
पाने के लिए हल्दी लेना चाहते हैं, तो अपने डॉक्टर से बात
करें।
हल्दी किसे नहीं लेनी चाहिए?
हालांकि
हल्दी वाले खाद्य पदार्थ खाना सुरक्षित है, गर्भवती और स्तनपान
कराने वाली महिलाओं को हल्दी के सप्लीमेंट नहीं लेने चाहिए। क्योंकि हल्दी रक्त को
पतला करने की तरह काम कर सकती है, आपको सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले इसे लेना
बंद कर देना चाहिए।
एक गिलास दूध में कितनी हल्दी डालें?
हल्दी
वाला दूध बनाने के लिए आधा कप गुनगुने दूध में चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर और चुटकीभर
काली मिर्च पाउडर मिलाना चाहिए. अगर आप इसे बिना मीठा मिलाए पी सकते हैं तो यह
सबसे बेहतर तरीका होगा.
हल्दी खाने से कौन सी बीमारी होती है?
एनीमिक
लोगों को भी ज्यादा हल्दी खाने से बचना चाहिए। जिन्हें एनीमिया होता है उनके खून
में आयरन की कमी हो जाती है। ज्यादा मात्रा में हल्दी खाने से आयरन का अवशोषण और
कम हो जाता है। इससे दिक्कत बढ़ सकती है।
क्या रात में हल्दी लेना ठीक है?
अधिकांश
लोगों को दिन की गतिविधियों से सूजन का मुकाबला करने के लिए या तो अपने दिन की
शुरुआत करने के लिए या रात को सोने से पहले हल्दी लेने में सफलता मिलती है । हम यह
भी सलाह देते हैं कि आप भोजन के साथ हल्दी का सेवन करें क्योंकि स्वस्थ वसा के साथ
मिलकर करक्यूमिन का अवशोषण बढ़ जाता है।
क्या रात में हल्दी पीना चाहिए?
ये
शरीर में नींद से जुड़े हार्मोन के साथ ही नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते
हैं। इसके लिए रात में हल्दी दूध का सेवन करना लाभकारी माना जाता है
रोज सुबह 7 दिन तक खाली पेट गर्म हल्दी वाला पानी पीने से क्या होता है?
* टॉक्सिन
को तोड़कर लीवर में जाने वाले रक्त को डिटॉक्सीफाई करने में सक्षम महत्वपूर्ण
एंजाइम का उत्पादन करके हल्दी का पानी लीवर के स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है । *हल्दी
का पानी वजन घटाने और अपच में भी मदद करता है। यह पित्ताशय की थैली को पित्त का
उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करता है, जिससे यह अधिक कुशलता
से काम कर सके।
असली हल्दी की पहचान क्या है?
अगर
हल्दी शुद्ध है, तो
यह आपके हाथ पर पीले रंग का दाग छोड़ देगी। वहीं यदि इसमें मिलावट है तो पीला रंग
काफी हल्का या न के बराबर हो सकता है। हल्दी की शुद्धता को जांचने के लिए इसे पानी
के साथ भी टेस्ट किया जा सकता है।
भारत में सबसे ज्यादा हल्दी कहाँ होती है?
भारत
में, आंध्र
प्रदेश हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है जिसके बाद तमिलनाडु, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल हैं।
हल्दी की मुख्य किस्में हैं - एलेप्पी और मद्रास (पेरियानदान)।
खाली पेट हल्दी पीने से क्या होता है?
1) प्रतिरक्षा
बनाता है हल्दी में मौजूद करक्यूमिन अपने उपचार गुणों, इम्यूनिटी को बढ़ाने
और मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए जाना जाता है. ...
2) वजन
घटाने और पाचन में सहायक ...
3) कैंसर
को रोकने में मददगार ...
4) त्वचा
के स्वास्थ्य में सुधार करता है
क्या हल्दी ब्लड प्रेशर बढ़ाती है?
हल्दी
ब्लड शुगर को भी कम कर सकती है और एंटीडायबिटिक दवाओं या इंसुलिन के प्रभाव को
बढ़ा सकती है । चूंकि हल्दी रक्तचाप को कम कर सकती है, इसलिए उच्चरक्तचापरोधी
दवाओं के साथ इसके योगात्मक प्रभाव हो सकते हैं
हल्दी को पानी में मिलाकर पीने से क्या होता है?
हल्दी
नमक ड्रिंक के फायदे
हल्दी
में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर के टॉक्सिन को खत्म करते हैं. यह पाचन शक्ति
को मजबूत करता है. – हल्दी नमक के पानी स गरारे करने से वजन भी कम होता है. –
हल्दी में इंफ्लैमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट साफ करते हैं.
हल्दी
और दूध का सेवन कैसे करें?
हल्दी वाला दूध बनाने का सही तरीका
दूध
हल्दी के छोटे-छोटे टुकड़े डाल दें। अब इस दूध को कम से कम 15 से 20 मिनट तक धीमी आंच पर
उबालना है। धीमी आंच पर उबालने से हल्दी के सारे पोषक तत्व दूध में अच्छी तरह मिल
जाएंगे। अच्छी तरह इस दूध को उबालने के बाद छान लें।
हल्दी वाला दूध कौन से टाइम पीना चाहिए?
आयुर्वेद
की मानें को रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना सेहत के लिए विशेष लाभकारी
हो सकता है।
हल्दी गर्मी करती है क्या?
हल्दी
की तासीर गर्म होती है और इसमें खून काे पतला करने का गुण होता है। इसलिए हर किसी
को इसे नहीं लेना चाहिए। खासकर उन लोगों को जिनकी बॉडी गर्म रहती है या जिन्हें
नाक से खून आना या पाइल्स जैसी प्रॉब्लम्स रहती हैं। यह ब्लीडिंग को बढ़ा देता
हैे।
हल्दी दूध के नुकसान क्या है?
दस्त
और जी मिचलाना
हल्दी
में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) एक्टिव
कंपाउंड है जो पेट से जुड़ी दिक्कतों को बढ़ा सकता है. ज्यादा हल्दी वाला दूध पिया
जाए तो दस्त (Loose Motions) और जी मिचलाने की समस्या हो सकती है
दिन में कितनी बार हल्दी का पानी पीना चाहिए?
हल्दी
के पानी का रोज सुबह खाली पेट सेवन करें. सुबह के समय इस पानी को पीने से ज्यादा
लाभ मिलेंगे.
हल्दी कब नहीं पीना चाहिए?
यदि
व्यक्ति किडनी रोगी है यानि व्यक्ति को किडनी से जुड़ी कोई भी समस्या है तो ऐसे
में हल्दी का दूध सेहत को नुकसान पहुंचा जा सकता है. खासतौर पर पथरी की समस्या
होने पर, दरअसल
हल्दी में ऑक्सालेट होता है, जो किडनी स्टोन की समस्या को ट्रिगर कर
सकता है. ऐसे में किडनी की समस्या के दौरान इस ड्रिंक का सेवन न करें.
क्या दूध में गुड़ डालकर पीना चाहिए?
दूध
में गुड़ मिलाकर पीने से एनीमिया की शिकायत भी दूर होती है। दरअसल गुड में
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के गुण पाए जाते हैं। रोजाना दूध में गुड़ मिलाकर पीने से शरीर
में खून की कमी का खतरा कम होता है। वेट लॉस के लिए भी दूध में गुड़ डालकर पीना
बहुत फायदेमंद माना जाता है।
हल्दी कितने प्रकार के होते हैं?
हल्दी
तीन रंगों, पीले, नांरगी और काले रंग की
होती है। कच्ची हल्दी का छिलका हटाने पर वह नांरगी रंग की दिखाई देती है और इस
हल्दी का संबंध मंगल ग्रह से होता है। पीली हल्दी का संबंध देव गुरु बृहस्पति से
होता है। काली हल्दी हल्की मटमैली होती है और इसका संबंध शनि ग्रह से होता है।
हल्दी से होने वाले फायदे ?
अल्जाइमर
(Alzheimer)- कई
शोध के बाद वैज्ञानिकों ने हल्दी को अल्जाइमर बीमारी से लड़ने में सक्षम घोषित
किया है। हल्दी में मौजूद डाईफेरुलो मीथेन (Diferuloylmethane) नामक तत्व सूजन को कम
करता है और साथ ही न्यूरॉन्स के आसपास अत्यधिक एमीलोयड पट्टिका के पतन को रोकता
है।
घाव, नीलापन और मोच (Wound, Bruises and
Sprain)- हल्दी
(turmeric) को
गर्म दूध में मिलाकर पीने से घाव, नीलापन और मोच के दर्द में आराम मिलता
है। इसके सेवन से सूजन भी कम होती है। कटे और खरोंच के निशान को धोकर उस पर सूखी
हल्दी लगाने से निशान जल्दी भरते हैं।
त्वचा
संबंधी समस्याएं (Skin Problems)- फोड़े
फुंसी से बचने के लिए हल्दी का पेस्ट और तिल का तेल मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं।
खुजली की बीमारी में गुड़ के साथ भुनी हुई हल्दी को मिलाकर शरीर पर लगाएं। झाईयों
और धब्बों के इलाज के लिए पिसी हुई हल्दी को पत्थर पर पानी से रगड़ें और इसके
पेस्ट को चेहरे पर लगाएं।
कैंसर
(Cancer)- कीमो-
रक्षात्मक गुण (Chemoprotective properties) होने के कारण हल्दी पेट के कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, टी-सेल ल्यूकेमिया और
स्तन कैंसर के इलाज में कारगर है।
गठिया
(Arthritis)- हल्दी
(Haldi) रोगक्षमता
को बढ़ाने में सहायक है। हल्दी का उपयोग आर्थ्राइटिस की बीमारी से बचने के लिए
किया जाता है। हल्दी में सूजन को कम करने की क्षमता होती है और एंटी- ऑक्सीडेटिव
तत्व होते हैं जो गठिया की बीमारी में बेहद फायदेमंद साबित होते हैं।
मधुमेह
(Diabetes)- मधुमेह
के दौरान हल्दी (Haldi) का
सेवन लाभदायक होता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (curcumin) इंसुलिन के स्तर को
सीमित रखता है और एंटी-डाइबिटिक ड्रग्स के प्रभाव को बढ़ाता है। एंटीऑक्सीडेंट
होने के कारण हल्दी इंसुलिन के प्रतिरोध को कम कर देता है।
खांसी
और सर्दी (Cough and Cold)- करक्यूमिन (curcumin) और वाष्पशील तेल की
मौजूदगी के कारण हल्दी खांसी और सर्दी से लड़ने में सहायक है। गरम दूध में एक
चम्मच हल्दी मिलाकर पीने
से गले में खराश या खांसी से बचा जा सकता है।
हल्दी से कौन कौन सी सावधानी रखनी चाहिए ?
हल्दी
(Haldi) का
उपयोग 500 मिलीग्राम
से कम मात्रा में करना चाहिए। दिन में दो या तीन बार ही हल्दी खानी चाहिए। यदि कोई
व्यक्ति इससे ज्यादा हल्दी का सेवन करता है तो उसे हल्दी के कारण कई दिक्कतें भी
हो सकती हैं। आइए जानते हैं इन नुकसानों के बारे में-
एलर्जी
(Allergy)- हल्दी
का पाचन हर व्यक्ति नहीं कर पाता है। कई लोगों को हल्दी के सेवन से उबकाई, उल्टी, पेट की खराबी या दस्त
जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कुछ लोगों में हल्दी से बने मलहम या लोशन के कारण
त्वचा एलर्जी, लाल
चकत्ते और जलन जैसी शिकायतों का डर भी रहता है।
पित्ताशय
में समस्या (Gallbladder Problem)- हल्दी के ज्यादा सेवन से जिगर और
पित्ताशय में उत्तेजना हो सकती है। इसके अलावा पित्ताशय में सूजन या पथरी होने का
खतरा भी रहता है।
लिवर
(Liver)- शरीर
में हल्दी की भारी मात्रा से लिवर को खतरा पहुंचने का डर रहता है। लिवर के मरीज़ों
को हल्दी खाने की ज्यादा सलाह भी नहीं दी जाती। लिवर में रोग से बदहजमी और पीलिया
जैसी बीमारियां भी घेर सकती हैं।
ब्लीडिंग
(Bleeding)- हल्दी
की तासीर गरम होती है। इसलिए जिन लोगों को नाक से खून आने की शिकायत रहती है
उन्हें हल्दी का कम सेवन करना चाहिए। यह मनुष्य शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की रफ्तार
को कम कर देती है इसलिए इससे ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा रहता है। बच्चों और क्लॉटिंग
की शिकायत वाले मरीज़ों को ज्यादा हल्दी नहीं लेनी चाहिए।