आप का स्वागत ही आज हम बहुत से रोगों और उनके घरेलू उपाय के बारे में जानेंगे तो आइए जानते हैं-
(1) हृदय तथा रक्त संस्थान के रोग
1.1हृदय के रोग
1.2उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
1.3 निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर)
(2) फेफड़ों के रोग
2.1खांसी
2.2हिचकी
2.3सर्दी-जुकाम
2.4क्षय रोग (टी.बी.)
2.5दमा ( श्वांस रोग)
2.6कफ विकार
(3)गुदा व गुर्दे के रोग
3.1बवासीर
3.2गुर्दे का दर्द
3.3पथरी
आज हम इन रोगों के उपचार और घरेलू उपाय, नुस्खे,सभी जानेंगे इतनी बडी बीमारी को हम घर पर ही कैसे ठीक कर सकते तो आइए जानते है
हृदय तथा रक्त संस्थान के रोग
हृदय के रोग
(1) सेब का मुरब्बा 50 ग्राम की मात्रा में लें, चाँदी का वर्क लगाकर सुबह के वक्त सेवन करने से दिल की कमजोरी, दिल का बैठना आदि शिकायतें दूर हो जाएगी। यह नुस्खा 15 दिन तक सेवन करें।
(2) यदि आपने चार रोटी खानी हो, तो दो रोटी खाने के बाद आधा गिलास पानी में थोड़ा आंवले का रस डालकर पिएं और फिर शेष दो रोटियां खाएं। 21 दिन तक लगातार यह क्रिया करने से हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है।
(3) कच्चे आलुओं का रस हृदय की जलन को तुरंत दूर कर देता है। मिश्री के साथ पकी हुई इमली का रस पीने से भी हृदय रोग की जलन मिट जाती है।
(4) जिनके हृदय की धड़कन अधिक बढ़ी हुई हो, वे एक कच्चा प्याज नित्य भोजन के साथ खाएं। इससे धड़कन सामान्य हो जाएगी तथा हृदय को शक्ति मिलेगी।
(5) पिसा हुआ आँवला गाय के दूध के साथ पीने से हृदय से संबंधित समस्त रोगों का निपटारा हो जाता है।
(6) सूखा आँवला और मिश्री समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच फंकी रोजाना पानी के साथ लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर
(1) खसखस (सफेद) और तरबूज के बीज की गिरी अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। सुबह और शाम एक-एक चम्मच खाली पेट खाएं। इससे बढ़ा हुआ रक्तचाप धीमा हो जाता है और रात में नींद भी अच्छी आती है।
(2) एक चम्मच मेथीदाना के चूर्ण की फंकी सुबह-शाम खाली पेट दो सप्ताह तक लेने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है ।
(3) सबेरे खाली पेट डाल का पका हुआ पपीता तीस दिनों तक खाएँ और इसके खाने के बाद दो घंटे तक न कुछ खाएं न पिएं, इससे रक्तचाप सामान्य रहता है।
(4) गेहूँ और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवाएं चोकर (भूसी) सहित आटे की रोटी बनवाकर खाएं। एक सप्ताह में ही रोग ठीक हो जाएगा।
(5) रात को किसी तांबे के गिलास या लोटे में पानी भरकर रखें और सुबह उठकर पी लें। इससे उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर)
(1) सौ ग्राम किशमिश को दो सौ ग्राम पानी में भिगो दें। रात भर भीगी रहने दें और प्रातः एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबाकर खाएं निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
(2) अत्यधिक लो ब्लड प्रेशर के कारण मूर्छा आ जाने पर हरे आंवलों के रस में बराबर का शहद मिलाकर दो-दो चम्मच पिलाते रहने से मूर्छा दूर हो जाती है।
(3) निम्न रक्तचाप वालों को छांछ में दो ग्राम हींग मिलाकर पीने से लाभ होता है। दोपहर के भोजन के पश्चात छांछ पीना अमृत समान है।
(4) गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से निम्न रक्तचाप का दोष जाता है। गाजर का मुरब्बा भी लाभ करता है। दूर हो
फेफड़ों के रोग
खांसी
(1) छः-सात काली मिर्च पीसकर शहद में घोलकर चाटने से खांसी में आराम होता है। यह प्रयोग रात में करें। इसके सेवन के बाद पानी न पियें।
(2) दो सौ ग्राम प्याज, दो ग्राम अदरक, चार-पांच नग बड़ी पीपल, दस ग्राम काली मिर्च और ढाई सौ ग्राम मिश्री लेकर इन सबके छोटे-छोटे टुकड़े कर एक साथ मिला दें। इसके बाद इसमें पूरा सराबोर होने लायक घी मिलाकर पर खूब गर्म करें। जब अच्छी तरह पक जाए तो दिन में तीन बार दो से चार चम्मच तक लें, लेकिन हर बार गर्म करके ही खाएं। किसी भी प्रकार की खांसी में दो-तीन दिन में आराम हो जाएगा।
(3) सेंधा नमक की एक डली आग में तपायें, फिर चिमटे से पकड़कर आधा प्याला पानी में डुबोकर निकाल लें और पानी पी लें।
(4) अदरक का रस 10 ग्राम, शहद 10 ग्राम गर्म करके दिन में दो बार पिए, दमा, खांसी के लिये बढ़िया दवा है। खटाई, दही, लस्सी का परहेज करें।
हिचकी
(1) सोंठ को पानी में घिसकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
(2) अदरक की एक गांठ लेकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और चूसें, इससे हिचकी बंद हो जाती है।
(3) जलते कोयले पर कपूर की टिकिया डालकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
सर्दी-जुकाम
(1) रात में खाना खाने के बाद एवं सोने के एक घंटे पहले एक-डेढ़ गिलास ताजा पानी पीयें, फिर सोने के दस मिनट पहले सौ-डेढ़ सौ ग्राम गुड़ खाएं। गुड़ खाने के बाद बिल्कुल पानी न पियें, केवल पानी से मुँह साफ कर लें, सुबह तक सर्दी-जुकाम ठीक हो जाएगा।
(2) रोज सुबह सात-आठ तुलसी के पत्ते और दो काली मिर्च खाने से कभी सर्दी-जुकाम नहीं हो सकता।
(3) जिन्हें काफी समय से जुकाम बना रहता हो उनके लिए एक गुणकारी उपाय प्रस्तुत है। जिस दिन यह उपाय करें, उस दिन शाम को हल्का भोजन ही करें, इसके पहले 2-3 दिन से तले हुए और मिर्च मसाले वाले पदार्थों का सेवन बंद कर दें, शाम के भोजन के 2 घंटे बाद रात को गेहूं के आटे में थोड़ा गुड़ डालकर कूट लें और इस आटे में थोड़ा देशी घी मिलाकर आटा गूंथ लें और मोटी रोटी बनाकर तवे पर ही घुमा घुमा कर उलटते-पलटते कपड़े से दबादबा कर सेंक लें। यह बिस्कुट की तरह खस्ता टिक्कड़ बन जाएगा। इसे ताजा और गरम ही खा लें, इसके ऊपर पानी न पियें।
क्षय रोग (टी.बी.)
(1) लहसुन को साफ करके पीस-छान कर पानी में मिलाकर रख लें, रोगी को दो-तीन चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार पिलाने से इस बीमारी में फायदा होता है।
(2) टी.बी. के रोगी को फूल गोभी का सूप पिलाते रहने से उसका रोग दूर होने में मदद मिलती है।
(3) मुनक्का, पीपल, देशी शक्कर समान भाग पीसकर एक चम्मच सुबह शाम खाने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
दमा (श्वांस रोग)
(1) समुद्री कछुए का तेल 5 बूंद लेकर कम से कम तीन दिन तक सुबह जल के साथ पीने से दमा में फायदा होता है।
(2) एक अच्छा केला लेकर उसका छिलका निकाले बिना उसमें एक गड्डा बनाये। फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण भरकर रात भर चाँदनी रात में पड़ा रहने दें। सबेरे उसे आग में भूनकर खायें। इसको इसी तरह दिन में दो-तीन बार खाने से दमा रोग में आराम होगा। वैसे इस केले को पुण्य नक्षत्र के दिन चाँदनी रात में या शरद पूर्णिमा की चाँदनी रात में पड़ा छोड़कर अगले दिन खाने से विशेष फायदा होता है।
(3) इसबगोल साबुत ले आएँ। इसबगोल का सत्त या भूसी नहीं लेना है। इसका कचरा मिट्टी हटाकर साफ कर लें। सुबह-शाम 10-10 ग्राम इसबगोल पानी के साथ निगल जाएं। एक माह में दमा विदा हो जाएगा। परहेज में चावल, तले पदार्थ, गुड़, तेल, खटाई, बादी वाले पदार्थ कतई नहीं लेवें और ठीक हो जाने के बाद भी कम से कम छः माह तक परहेज जारी रखें।
कफ विकार
कभी-कभी कोई गरम पेय अथवा गरम औषधि के सेवन से कफ सूखकर छाती पर जम जाता है। सूखा हुआ कफ बड़ी कठिनता से निकलता है और खाँसने में तथा निकालते समय बड़ी परेशानी होती है। छाती पर कफ के कारण घर-घर शब्द होता है। इसमें निम्न उपायों का प्रयोग करें
(1) अदरक को छीलकर, मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ सुगमता से निकल जाता है।
(2) मुलहठी और सूखा आंवला अलग-अलग बारीक करके पीसें और छान लें तथा मिलाकर रखें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट प्रातः पानी से लेने से फेफड़ों पर जमा हुआ कफ साफ हो जाता है।
गुदा व गुर्दे के रोग
बवासीर
(1) कागजी नींबू काटकर 5 ग्राम कत्था पीसकर नींबू में लगाकर रात को रखें। सुबह दोनों टुकड़े चूस लें, खून बंद करने के लिए बढ़िया दवा है। 15 दिन इस्तेमाल करें।
(2) गेंदें की पत्तियाँ 10 और काली मिर्च 3 ग्राम, पानी में घोंटकर छानकर पीने से खूनी बवासीर का खून गिरना बंद हो जाता है।
(3) प्रतिदिन शौच करते समय, शौच के बाद पानी से गुदा धोकर, स्वमूत्र सुबह-शाम गुदा धोने से बवासीर ठीक हो जाती है।
(4) अदरक की एक गाँठ कुचलकर एक कप पानी में डालकर उबालें, जब पानी » कप बचे तब उतारकर ठण्डा कर लें, इसमें एक चम्मच शक्कर या मिश्री मिलाकर दिन में एक बार सुबह पीने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
(5) मूली का रस एक गिलास निकाल कर इसमें शुद्ध घी की बनी 100 ग्राम जलेबी डालकर एक घंटे तक ढंक कर रखें फिर जलेबी खाते हुए रस पीते जाएं, 8-10 दिन तक प्रतिदिन यह प्रयोग करने पर बवासीर हमेशा के लिए ठीक हो जाती है।
नोट - इनमें से कोई भी एक उपाय करते हुए दशी अजवायन, जंगली अजवायन और खुरासानी अजवायन तीनों का कुटा हुआ महीन चूर्ण समान मात्रा में लेकर थोड़े मक्खन में मिलाकर सुबह-शाम मस्सों पर लगावें और हाथी दांत का आधा चम्मच बुरादा आग पर जला कर इसकी धुनी गुदा के मस्सों पर देने से बहुत जल्दी गुदा के मस्से बैठ जाते हैं और बवासीर रोग ठीक हो जाता है, यदि इन नुस्खों के सेवन और कब्ज दूर करने के उपाय करने पर भी बवासीर ठीक न हो तो चिकित्सक से इलाज या आपरेशन जरूरी हो जाएगा।
गुर्दे का दर्द
(1) बीस ग्राम अजवाइन, दस ग्राम सेंधा नमक और बीस ग्राम तुलसी की सूखी पत्तियाँ, इनको कूट, पीस और छानकर चूर्ण बना लें। सुबह इसे दो-दो ग्राम की मात्रा से गुनगुने पानी के साथ लें। एक-दो बार उक्त चूर्ण के प्रयोग से ही गुर्दे के दर्द से तड़पते रोगी को आराम हो जाता है।
(2) खरबूजे के ऊपरी छिलके को सुखाकर उसे दस ग्राम की मात्रा में अढाई सौ ग्राम पानी में उबालें। फिर उसे छानकर थोड़ी-सी खांड मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम आधा-आधा कप पीने से गुर्दे की पीड़ा में आराम होता है।
(3) अंगूर-बेल के तीस ग्राम पत्तों को पीसकर, पानी मिलाकर, छानकर और नमक मिलाकर पीने से गुर्दे के दर्द से तड़पते रोगी को तुरंत आराम हो जाता है।
पथरी
(1) नीम की पत्तियों की राख, दो ग्राम की मात्रा में जल के साथ नियमित रूप से लेते रहने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
(2) यदि पथरी छोटी हो और ज्यादा पुरानी न हो तो मेंहदी की छाल को कूट पीसकर बारीक चूर्ण करके, यह चूर्ण प्रातःकाल आधा चम्मच मात्रा (लगभग 2½ -3 ग्राम) में जल के साथ फाँकने से कुछ दिनों में पथरी गलकर मूत्र के साथ निकल जाती है।
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