muh or jibh (Mouth blisters) ke chhale ka gharelu or aayurvedik ilaaj

muh or jibh (Mouth blisters) ke chhale ka gharelu or aayurvedik ilaaj

मुंह और जीभ के छाले दूर करने के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज मुंह के छाले कैसे ठीक करे आइए जानते हैं 
मुंह और जीभ के छाले दूर करने के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज मुंह के छाले कैसे ठीक करे आइए जानते हैं



                    मुंह के छाले का कारण:

मुंह में छाले अजीर्ण तथा कब्ज के कारण हो जाते हैं। प्रायः देखा गया है कि कब्ज के ठीक होते ही मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं। कई बार पान में तेज चूना खाने तथा मिर्च-मसालों या गर्म पदार्थों का प्रयोग करने से भी मुंह में छाले पड़ जाते हैं।
सबसे पहले जीभ की नोक पर छाले निकलते हैं। फिर धीरे-धीरे पूरी जीभ को घेर लेते हैं। छालों के कारण मुंह में हर समय लार आती रहती है। खाने-पीने के पदार्थ मुंह में कांटे की तरह चुभते हैं। छालों में जलन व दर्द होता है।

            जीभ के छाले का घरेलू उपचार:

बबूल की छाल को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छालों पर बुरककर लार बाहर टपकाएँ। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
मुनक्का के आठ-दस दानें पानी में भिगो दें। जब वे फूल जाएं, तो उनको चबा कर खाएं।
ईसबगोल को गर्म पानी में उबालकर उससे कुल्ली करें।
मुलेठी का चूर्ण तथा भीगा हुआ कत्था मिलाकर छाले के दानों पर लगाएं और लार बाहर टपका दें।
गुलाब के दो फूलों को पानी में उबालें। फिर ठंडा करके इसी पानी से कुल्ली करें।
पान की पत्ती को सुखा लें। फिर उसे चबाएं।
फिटकिरी तथा इलायची का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में लेकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद छालों पर बुरकें। कुछ दिनों में छाले सूख जाएंगे।
गर्मी के मौसम में फिटकिरी के पानी से कुल्ली करने से छाले सूख जाते हैं।
चुटकी भर भुना हुआ सुहागा महीन पीस कर इसमें ग्लिसरीन या देसी घी मिलाकर छालों पर लगाएं।
मुलेठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से छाले बैठने लगते हैं।
तुलसी की लकड़ी पानी में घिसकर छालों पर लगाएं।
लहसुन की पूती पानी में पीसकर उसमें थोड़ा-सा देसी घी मिलाकर मलहम तैयार करके लगाएं।
नीबू को गर्म पानी में निचोड़कर इससे बार-बार कुल्ली करें।
नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें। फिर उस पानी से बार-बार कुल्ली करें।
हरे धनिए के पत्ते चबाने से भी मुंह के छाले जाते रहते हैं।
5-6 गांठे हलदी की थोड़े-से पानी में उबाल लें। फिर इसी पानी से कुल्ली करें।
कपूर को गोले (नारियल) के तेल में मिलाकर छालों पर लगाएं।
सफेद इलायची 3 ग्राम, 2 ग्राम कबाब चीनी तथा कत्था 3 ग्राम। सबको खरल में महीन करके मुंह के छालों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाएं।
रात के भोजन के बाद दो छोटी हरड़ चबाकर खा जाएं। इससे सुबह के समय खुलकर शौच आने के बाद मुंह के छाले सूखने लगते हैं।
अमरूद के हरे पत्तों को चबाने से छाले जाते रहते हैं।
सुबह के समय मुंह के छालों पर दही मलें।
भोजन करने के बाद अमरूद का सेवन करें।
देसी घी में थोड़ी-सी नीम की पिसी पत्तियों को मिलाकर छालों पर लगाएं।
मेहंदी की पत्तियों को गर्म पानी में मिलाकर थोड़ी देर तक रखा रहने दें। फिर उसे छानकर उसी पानी से कुल्ली करें।
गुरुकुल कांगड़ी की चाय को उबालकर उसके पानी से कुल्ली करें।
चिरमी के फूल अत्तार के यहां से खरीद लें। फिर उसका चूर्ण घी या मक्खन में मिलाकर छालों पर लगाएं।
झरबेरी के पत्तों को पानी में उबालकर उससे कुल्ली करें।
अनार-फल के छिलकों को पीसकर छालों पर लगाने से कुछ ही दिनों में छाले सूख जाते हैं।
करेले का रस गर्म करके छालों पर लगाएं।
बकायन की छाल को पीसकर तथा कत्थे में मिलाकर लगाएं।
छालों पर ग्लिसरीन लगाकर लार बाहर टपकाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
टमाटर का रस एक कप और एक कप पानी। दोनों को मिलाकर इससे कुल्ली करें।
शुद्ध शहद को पानी में मिलाकर इससे कुल्ली करें।
तुलसी के पत्तों का रस लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
सौंफ का चूर्ण छालों पर लगाएं।
सूखा धनिया तथा शहतूत, दोनों को पानी में उबालकर इससे कुल्ली करें।

                छाले का आयुर्वेदिक उपचार:

इलायची, कत्था, सोनागेरू, मिसरी। सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें नीले थोथे का फूला 3 ग्राम की मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को दिन भर में चार बार मलें। इसके बाद चाय के पानी से कुल्ली कर लें।
इलायची बड़ी 3 ग्राम, बबूल का गोंद 10 ग्राम, मिसरी 10 ग्राम, नीम की पत्तियां 2 ग्राम। सबको मिलाकर पीस लें। फिर इसका सेवन सुबह-शाम करें। इसे छालों पर भी लगाएं।
आंवला 25 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सफेद इलायची 5 ग्राम तथा मिसरी 25 ग्राम। सबको मिलाकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण नित्य सुबह-शाम सेवन करें।
त्रिफला (हर्रे, बहेड़ा, आंवला), दारू हलदी और सौंफ। सबको 15-15 ग्राम लेकर गर्म पानी में उबालें। इसके बाद इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर इससे कुल्ली करें।
इन्द्र जौ 10 ग्राम और काला जीरा 10 ग्राम। दोनों को पीसकर प्रतिदिन छालों पर लगाएं।
फिटकिरी का फूला और नीला थोथा, दोनों को लेकर तथा कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद छालों पर लगाएं। लार बराबर नीचे टपकाते रहें।
खदिरादि वटी 2 गोली तीन बार लें।
इरिमेदादि तैल छालों पर लगाएं व इसे कुछ देर तक मुख में धारण करें।

 
आयुर्वेदिक उपचार करके छाले से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है, आयुर्वेद रोग के लिए बिलकुल सेफ और कारगर है। 

भोजन तथा परहेज:

पेट में कब्ज न बनने दें। यदि कब्ज हो जाए, तो उसे दूर करें। क्योंकि मुंह में छाले अधिकतर पेट की खराबी से उत्पन्न होते हैं।
तली हुई चीजें, अधिक खट्टी, चटपटी या मसालेदार पदार्थ न खाएं। खुश्क तथा दस्त लगने वाली चीजों से परहेज करें।
चाय, शराब, बीड़ी-सिगरेट या किसी भी नशीली चीज का सेवन वर्जित है।

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